एक शाम ‎प्रेमचंद के नाम (Ek Shaam Prem Chand Ke Naam)

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By मथुरा कलौनी

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एक शाम प्रेमचंद के नाम, प्रेमचंद के जीवन की दिशा निर्धारित करने वाली घटनाओं और उनकी कुछ कालजयी कहानियों का नाट्यरूपांतरण है। इसमें कुछ नये प्रयोग किये गये हैं। कहानियों में वर्णनात्मक विवरण से अधिक दृश्यों को महत्व दिया गया है। प्रेमचंद की जीवनी को भी यथेष्टरूपेण दृश्यात्मक(विजुअल)बनाया गया है।

कफन एक मर्मस्पर्शी विडंबनापूर्ण करुण-हास्यकथा है। एक स्त्री की प्रसव-पीड़ा झेलते-झेलते मृत्यु हो जाती है। उसके पति व ससुर कफन के लिए चंदा इकट्ठा करते हैं। पर उन्हें आभास होता है कि यह सब कितना निरर्थक है। कथानक भयावह दारिद्र्य में भी जीने की सहज प्रवृत्ति दर्शाता है।

सद्गति में प्रेमचंद ने अछूतों के सामाजिक शोषण और उच्च वर्गों द्वारा उन पर किये जा रहे अमानवीय अत्याचार का निरूपण किया है। ऐसा काला सच जो आज के भारत में भी रह रह कर अपना सर उठाता है।

पंच-परमेश्वर सरपंच के न्याय की कहानी है। जलन और द्वेश की कहानी है। साथ ही जिम्मेदार पद की गरिमा की रक्षा की कहानी है।

पूस की रात एक निर्धन किसान की कहानी है। वह कैसे पूस की हाड़ कँपा देनेवाली भयानक ठंड में खेत में अपने कुत्ते जबरा के साथ रात बिताने के लिये विवश है।

एक शाम प्रेमचंद के नाम में स्वयं प्रेमचंद और उनकी कहानियों के पात्र, पन्नों से बाहर निकल कर आपको कठघरे नें खड़ा कर देते हैं।

एक शाम ‎प्रेमचंद के नाम (Ek Shaam Prem Chand Ke Naam)